What is Digital Marketing in Hindi?

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  आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है। Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है । यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।   डिजिटल मार्केटिंग का तात्पर्य क्या है? [Digital Marketing Kya Hai?] डिजिटल मार्केटिंग क्या है? अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से करते हैं । इंटरनेट, कंप्यूटर,  मोबाइल फ़ोन , लैपटॉप , website adertisements

कोरोना के लक्षण और बचाब

परिचय - कोरोनावायरस कि उत्प्ति कहा हुई ओर कोरोना के प्र्भाब। कोरोना के
लक्षण क्या क्या हैं। इनके बचाब के तरीके क्या क्या है।
उतप्ति - (COVID-19) की शुरुआत एक नए किस्म के कोरोनवायरस के संक्रमण के रूप में मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई। बहुत से लोगों को बिना किसी कारण निमोनिया होने लगा और यह देखा गया की पीड़ित लोगों में से अधिकतर लोग वुहान सी फूड मार्केट में मछलियाँ बेचते हैं तथा जीवित पशुओं का भी व्यापर करते हैं। चीनी वैज्ञानिकों ने बाद में कोरोनावायरस की एक नई नस्ल की पहचान की जिसे 2019-covid प्रारंभिक नाम दिया गया। इस नए वायरस में कम से कम 70 प्रतिशत वही जीनोम अनुक्रम पाए गए जो सार्स-कोरोनावायरस में पाए जाते हैं। संक्रमण का पता लगाने के लिए एक विशिष्ट नैदानिक पीसीआर परीक्षण के विकास के साथ कई मामलों की पुष्टि उन लोगों में हुई जो सीधे बाजार से जुड़े हुए थे और उन लोगों में भी इस वायरस का पता लगा जो सीधे उस मार्केट से नहीं जुड़े हुए थे। पहले यह स्पष्ट नहीं था कि यह वायरस सार्स जितनी ही गंभीरता या घातकता का है अथवा नहीं। 20 जनवरी 2020 को चीनी प्रीमियर ली केकियांग ने नावेल कोरोनावायरस के कारण फैलने वाली निमोनिया महामारी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए निर्णायक और प्रभावी प्रयास करने का आग्रह किया।] 14 मार्च 2020 तक दुनिया में इससे 5,800 मौतें हो चुकी हैं। इस वायरस के पूरे चीन में, और मानव-से-मानव संचरण के प्रमाण हैं। 9 फरवरी तक व्यापक परीक्षण में 88,000 से अधिक पुष्ट मामलों का खुलासा हुआ था, जिनमें से कुछ स्वास्थ्यकर्मी भी हैं। 20 मार्च 2020 तक थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान, मकाऊ, हांगकांग, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर,वियतनाम, भारत, ईरान, इराक, इटली, कतर, दुबई, कुवैत और अन्य 160 देशों में पुष्टि के मामले सामने आए हैं।

प्रभाब -  रोजाना हजारों लोगों को शिकार बनाने के अलावा कोरोनावायरस संकट का सबसे स्पष्ट प्रभाव समूची दुनिया में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथलपुथल के रूप में नजर आया। वायरस चुटकियों में पूरी दुनिया में फैल गया। यात्रियों ने विमान यात्राएं बंद कर दीं, दुनिया भर में पर्यटन थम गया और मनोरंजन जैसे संबंधित उद्योग भी कुछ हफ्तों में ही बंद हो गए। देश अपने आप में सिमट गए। उन्होंने अपनी सीमाएं बंद कर लीं और जनता के आवागमन पर ढेरों प्रतिबंध लगा दिए। कोरोनावायरस ने वैश्वीकरण को करारा झटका दिया है। 


वायरस संकट का वैश्विक प्रभाव बहुत ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में पहले ही मंदी आ चुकी है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का अनुमान है कि लगभग 1.25 अरब कामगार यानी वैश्विक श्रमबल का लगभग 38 प्रतिशत हिस्से के रोजगार पर संकट आ गया है क्योंकि वे सभी परिवहन, मनोरंजन, खेल, विनिर्माण, खुदरा, निर्माण जैसे उद्योगों में कार्यरत हैं, जो पूरी तरह ठप हो गए हैं। दुनिया भर के शेयर बाजार बैठ गए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहलाने वाले तेल उद्योग के सामने पिछले 100 वर्षों का सबसे गंभीर संकट खड़ा हो गया है।


वैश्विक अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने से और विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में बाधा पड़ने से इतनी नौकरियां जाएंगी, जितनी पहले कभी नहीं गईं। 2008-09 के वित्तीय संकट, 11 सितंबर के आतंकी हमले, 1997 के एशियाई वित्तीय संकट, 1991 में सोवियत संघ के विघटन जैसे पिछले संकटों के मुकाबले कोरोनावायरस का संकट अधिक बड़ा और गहरा है। इसके सही-सही असर का अंदाजा लगाना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन कुछ बातें पहले ही नजर आने लगी हैं। 


महामारी भारत में अभी तक पांव पसार रही है। सबसे बुरी स्थिति शायद लॉकडाउन हटने पर सामने आएगी। लेकिन कोरोना के बाद की दुनिया के लिए भारतीय सोच के कुछ रुझान पहले ही दिखने लगे हैं।


पहला, यह सोच बढ़ती जा रही है कि भारत को जरूरी कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता कम करनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नजरअंदाज किए बगैर आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी पर आधारित अर्थव्यवस्था तैयार करनी चाहिए। भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र को नए सिरे से तैयार करना और पटरी पर लाना चाहिए क्योंकि पिछले कुछ दशक में देश उसे चीन के हाथ गंवा चुका है।


दूसरा, अपनी विशाल जनसंख्या के साथ भारत के पास स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, स्वच्छ तकनीक, पर्यावरण संरक्षण में भारी संभावनाएं हैं, जिन्हें अभी तक खंगाला नहीं गया है। इसका इस्तेमाल भारत के पुनर्निर्माण में होना चाहिए। भारत के बढ़ते डिजिटल बुनियादी ढांचे का इस्तमाल प्रशासन में अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। भारत को अनुसंधान एवं विकास पर अधिक खर्च करना चाहिए। उसके पास देश के भीतर और पड़ोस में आपूर्ति श्रृंखलाएं तैयार करने का मौका है। विकास का भारतीय मॉडल भारत की वास्तविकताओं एवं सतत विकास के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए, जो हमारे सांस्कृतिक विचारों में शामिल हैं।


तीसरा, संकट ने भारत की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्थाओं में खामियां उजागर कर दी हैं, जिन पर फौरन काम होना चाहिए। समृद्धि के पिरामिड में सबसे नीचे पड़े समाज के कमजोर तबकों पर इस संकट का सबसे अधिक बोझ पड़ेगा। भारत के पास अब बुनियादी आय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आदि के इर्द-गिर्द अपनी सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था खड़ी करने का मौका है।


चौथा, संकट फैलने के साथ कई अन्य देशों के उलट भारत ने वास्तव में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का रास्ता अपनाया है। संकट के बीच ठप पड़े दक्षेस को फिर सक्रिय करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास की किसी को अपेक्षा नहीं थी। प्रधानमंत्री ने विश्व नेताओं के साथ टेलीफोन पर बातचीत भी की, जिसमें सभी नेताओं ने संकट से निपटने के भारत के प्रयासों की सराहना की और उसका सहयोग भी मांगा। नतीजतन भारत का औषधि क्षेत्र हाइड्रो-क्लोरोक्वीन की गोलियां बनाने तथा पूरी दुनिया को मुहैया कराने के लिए तैयार हो गया है। इस दवा की अमेरिका समेत तमाम देशों से मांग आ रही है। कई देश जरूरत वाले क्षेत्रों में भारत से सहयोग मांग रहे हैं। यही समय है, जब भारत को दूसरे देशों के साथ सार्थक संवाद और सहयोग तेज करना चाहिए और नई विश्व व्यवस्था गढ़ने में मदद करनी चाहिए। भू-राजनीतिक विचार और शक्ति की राजनीति अहम बनी रहेगी मगर भारत को वसुधैव कुटुंबकम, करुणा, टकराव खत्म करने, प्रकृति का सम्मान करने एवं पर्यावरण का ध्यान रखने जैसे विषयों पर आधारित नई विश्व व्यवस्था तैयार करने में मदद करनी चाहिए। 

लक्षण - कोरोना वायरस से पीडित जनो के लक्षण, अनावरण होने के 2 से 14 दिनो के बाद दिखाई देते हैं | यह लक्षण अधिकतर सौम्य होते है और सामन्य रूप मे इनकी उपेक्षा कि जाती है | कुछ लोग के संक्रमित होने के बावजूत, इनमे कोई लक्षण दिखाई नही देते है | कोई लक्षण ना दिखने पर भी ये संक्रमण हो सकते है। आपके शरीर की वायरल लोड (वायरस की संख्या) एक गंभीर लक्षण वाले बयक्ति के सामान हो सकते है। इसका मतलब है कि आप उतना ही संक्रमण के संकट में हैं जितना के COVID-19 के सीरियस पेशेंट हैं। 80 प्रतिशत लोग किसी विशेष इलाज के बिना भी ठीख हो जाते है। यदि आप हाल ही में COVID-19 कन्टेनमेंट ज़ोन से यात्रा करके लौटे हैं, तो आपके साथ साथ उन सभी लोगो को यह संक्रमण हो सकता हैं जो आपके या आपके परिवार के संपर्क में आएं है। ऐसे स्थिति में 14-21 दिन की सेल्फ-क्वारंटाइन (स्वयं संगरोध) करना आवश्यक है।



कोरोना वायरस से पीड़ित लोगो के लक्षण कुछ इस तरह के होते है – 
बुखार 
थकान 
सुखी खासी 
नाक का बंध होना 
बेहति नाक 
गले कि खराश 
सांस लेने मे कठिनाई 
अस्थमा या अन्य स्वास सम्बंधित की बीमारी (रेस्पिरेटरी डिसीजेस) 
मधुमेह (डायबिटीज)
दिल की बीमारी (हार्ट डिसीजेस)
कम प्रतिरक्षा प्रणाली (लौ इम्युनिटी)
स्वास लेने मे तकलीफ
छाती में दर्द या दबाव
नीले रंग का होंठ या चेहरा
भ्रम की स्थिति
उनींदापन या तंद्रा (जागने में असमर्थता)

डॉक्टर से संपर्क कब करना हैं?

 कोविड – 19 के संक्रमण गंभीर होने से मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome: MERS-CoV) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome: SARS-CoV) संक्रमण हो सकता ह। COVID-19 के लक्षण होने पर बहार निकलने का सलाह नहीं देतें यहाँ तक की मेडिकल क्लिनिक या अस्पताल भी ना जाएं। यह वायरस को फैलने से बचाने में मदद करता है। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य में संक्रमण के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करे। यदि आपके परिवार के किसी सदस्य में संक्रमण के लक्षण दिखने पर नज़दीकी डॉक्टर से फ़ोन पर संपर्क करे, या राज्य के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।


बचाब - कोरोना की दबाई अब उपलब्ध है उसका  टिका लगवाए १

अपने हाथों को कुछ समय के अंतर नियमित साफ करें। साबुन और पानी का उपयोग करें, या अल्कोहॉल आधारित सैनीटाइज़र से हाथ रगड़ें।

खांसने या छींकने पर अपनी नाक और मुंह को अपनी मुड़ी हुई कोहनी या एक टिश्यू से ढक लें।
मास्क का प्रयोग करे 

यदि आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो घर पर रहें। अपने बर्तन, गिलास और बिस्तर  किसी से शेयर ना करे |

अगर आप बीमार है, तोह पब्लिक जगहों से दूर रहे जैसे कि स्कूल, ऑफिस आदि।
अपने स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करें।


 

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