What is Digital Marketing in Hindi?

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  आज के युग में सब ऑनलाइन हो गया है। इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है और हम इसके माध्यम से कई सुविधाओं का आनंद केवल फ़ोन या लैपटॉप के ज़रिये ले सकते है। Online shopping, Ticket booking, Recharges, Bill payments, Online Transactions (ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग, रिचार्ज, बिल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसक्शन्स) आदि जैसे कई काम हम इंटरनेट के ज़रिये कर सकते है । इंटरनेट के प्रति Users के इस  रुझान की वजह से बिज़नेस Digital Marketing (डिजिटल मार्केटिंग) को अपना रहे है । यदि हम market stats की ओर नज़र डालें तो लगभग 80% shoppers किसी की product को खरीदने से पहले या service लेने से पहले online research करते है । ऐसे में किसी भी कंपनी या बिज़नेस के लिए डिजिटल मार्केटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है।   डिजिटल मार्केटिंग का तात्पर्य क्या है? [Digital Marketing Kya Hai?] डिजिटल मार्केटिंग क्या है? अपनी वस्तुएं और सेवाओं की डिजिटल साधनो से मार्केटिंग करने की प्रतिक्रिया को डिजिटल मार्केटिंग कहते है ।डिजिटल मार्केटिंग इंटरनेट के माध्यम से करते हैं । इंटरनेट, कंप्यूटर,  मोबाइल फ़ोन , लैपटॉप , website adertisements

Behavioral problems in kids : बच्चों में नजर आने वाली व्यवहार से संबंधित इन समस्याओं को ना करें नजरअंदाज




आमतौर पर बच्चे शरारती, अटेंशन सीकर, बहुत ज्यादा ऐक्टिव, चीजों पर ध्यान न लगाना, एक जगह न बैठना जैसी चीजें करते हैं। यह उनकी उम्र में आम चीजें हैं लेकिन हो सकता है कि ये अटेंशन-डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) की ओर इशारा हो। एडीएचडी डिसऑर्डर एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसके लक्षण छोटी उम्र में और आमतौर पर 7 वर्ष की उम्र से पहले दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। सही समय पर डायग्नोज नहीं होने पर उम्र के साथ यह समस्या बढ़ती जाती है और गंभीर रूप भी ले सकती है।



 Tips for Parenting in Hindi: छोटे बच्चे अपने आसपास जो भी चीजें देखते हैं, उसी को वह सच मान लेते हैं। वहीं से वो कई अच्छी और गलत बातें सीख लेते हैं। आप बच्चे को जैसे ढालेंगे, बच्चे उसी तरह से ढलते चले जाएंगे। पेरेंट्स को कम उम्र से ही बच्चों को कुछ चीजों के बारे में बता देना चाहिए। बच्चों को छोटी उम्र से ही जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण वैल्यूज के बारे में बताना जरूरी है, ताकि वो बड़े होकर एक सच्चे, ईमानदार व्यक्ति बन सकें। आजकल के बच्चों में व्यवहार संबंधित समस्याएं 

भी काफी देखने को मिल रही हैं। बच्चों से जुड़ी यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या (Psychological Problems Associated With Children) है, जिसे जानना-समझना जरूरी है। जानें, बच्चों में किस तरह के व्यवहार संबंधित समस्याएं होती हैं और इन समस्याओं को दूर करने के लिए पेरेंट्स को क्या करना चाहिए-

क्या हैं व्यवहार संबंधित समस्या (What are behavioral problems in kids) 

आजकल के बच्चों में सबसे ज्यादा बिहेवियर यानी व्यवहार से संबंधित मनोवैज्ञानिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। आजकल के बच्चे अकेले रहते हैं, ऐसे में उनमें मिल-जुलकर रहना, किसी के साथ अपनी चीजों को शेयर करना आदि बातों की कमी देखने को मिलती है। ये सभी बातें आगे चलकर उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। जानें, बच्चों में नजर आने वाली व्यवहार संबंधित समस्याएं और कौन-कौन सी होती हैं

आक्रामक होना

बच्चों में आज धैर्य की कमी होती जा रही है, ऐसे में उनकी बातें या इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं, तो वो आक्रामक हो जाते हैं। यह आक्रामकता उनके मानसिक विकास और मन:स्थिति के लिए सही नहीं है। पेरेंट्स को ही उन्हें धैर्य से काम लेना सिखाना होगा। आप भी बच्चे से धैर्य से बात करें। बच्चा क्यों आक्रामक हो रहा है, इसकी वजह जानने की कोशिश करें। उससे प्यार-दुलार से पेश आएं ताकि उसकी मानसिक पीड़ा शांत हो।

जिद्दी होना

कुछ बच्चे बहुत ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं। अपनी बात को हर हाल में पूरा करवाने के लिए कई बार वो खाना-पीना छोड़ देते हैं। कई बार इसके लिए मां-बाप ही जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि बचपन से ही वह उनकी हर छोटी-छोटी मांगों को पूरा करते हैं। ऐसा बड़े होने पर बच्चे जब करते हैं, तो उनकी हर बातों को पूरा करना पेरेंट्स के लिए संभव नहीं हो पाता, लेकिन बच्चे इन चीजों को नहीं समझते हैं। बेहतर होगा कि आप बचपन से ही उनकी हर बातों को पूरा करने से बचें।

झूठ बोलना

बच्चे बात-बात पर अपने माता-पिता, टीचर्स, दोस्तों से कई चीजें छिपाने लगते हैं या झूठ बोलना (Behavioral problems in kids in hindi) शुरू कर देते हैं। बच्चे में ऐसी आदत कहां से पड़ी, इस बात को जानने की कोशिश करें। हो सके तो स्कूल की क्लास टीचर से बात करें। कई बार पेरेंट्स की अधिक सख्ती, टीचर्स की डांट के डर के कारण भी बच्चे झूठ बोलने लगते हैं। इसके लिए उसे कड़ी सजा ना दें, बल्कि प्यार से झूठ बोलने के कारणों के बारे में जानने की कोशिश करें। बच्चों को एक हेल्दी माहौल और वातावरण दें।

दब्बू होना

यदि आप अपनी बात को पूरा करने, खाना खिलाने, पढ़ाई करने के लिए बच्चे को अंधरे, भूत-प्रेत आने की बात से डराते हैं, तो ऐसा ना करें। इससे आपका बच्चा डरपोक और दब्बू हो जाएगा। ऐसी बातें बच्चों के अंतर्मन में गहराई से बैठ जाती हैं। इससे उनका आत्मविश्‍वास भी कमजोर होने लगता है। वह कहीं भी भीड़ में बोलने, जाने से घबराने लगेंगे। अपने बच्चों के साथ गेम खेलें, महान और प्रेरणास्रोत लोगों की बातें बताएं, उनकी कहानियां सुनाएं।

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